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भारतवर्ष

De: Vivek Rao, Rajnish Rao, White Script
Narrado por: Ashish Dave, Manikant Sorbhoy, Aranya Kaur, Yudhvir, Shaily Dubey, Ankit Goswami, Rohan Shukhthankar, Jasbir, Pranav, Pushkar
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  • Resumen

  • एकांतवास में सम्राट दुष्यंत को देवराज इंद्र का स्मरण हो आता है और वो उनका आह्वाहन करके उनसे सहायता माँगते हैं। अनभिज्ञ बनकर देवराज इंद्र सम्राट से देवासुर संग्राम में साथ देने का वचन लेते हैं और वचन भी देते हैं कि युद्ध के उपरांत भगवद कृपा और माँ आदिशक्ति के वरदान से उनके कष्टों व वेदना का निराकरण हो जाएगा। कई वर्षों के अनवरत युद्ध के उपरांत सम्राट दुष्यंत के हाथों पाताल लोक के असुर दुर्जय का अंत होता है। स्वर्गलोक में प्रसन्नता की लहर फैल जाती है। देवराज इंद्र स्वयं ही सम्राट दुष्यंत के सारथी बनकर उन्हें तपस्वी लोक ले जाते हैं जहाँ कश्यप मुनि के आश्रम में सम्राट की भेंट अपने पुत्र सर्वदमन भरत और धर्मपत्नी शकुंतला से होती है। देवराज इंद्र अपना वचन पूर्ण करते हैं और सबको हस्तिनापुर पहुँचाते हैं। इस प्रकार सर्वत्र हर्ष ही हर्ष छा जाता है।
    ©2021 Audible Inc (P)2021 Audible Inc
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Resumen del editor

एकांतवास में सम्राट दुष्यंत को देवराज इंद्र का स्मरण हो आता है और वो उनका आह्वाहन करके उनसे सहायता माँगते हैं। अनभिज्ञ बनकर देवराज इंद्र सम्राट से देवासुर संग्राम में साथ देने का वचन लेते हैं और वचन भी देते हैं कि युद्ध के उपरांत भगवद कृपा और माँ आदिशक्ति के वरदान से उनके कष्टों व वेदना का निराकरण हो जाएगा। कई वर्षों के अनवरत युद्ध के उपरांत सम्राट दुष्यंत के हाथों पाताल लोक के असुर दुर्जय का अंत होता है। स्वर्गलोक में प्रसन्नता की लहर फैल जाती है। देवराज इंद्र स्वयं ही सम्राट दुष्यंत के सारथी बनकर उन्हें तपस्वी लोक ले जाते हैं जहाँ कश्यप मुनि के आश्रम में सम्राट की भेंट अपने पुत्र सर्वदमन भरत और धर्मपत्नी शकुंतला से होती है। देवराज इंद्र अपना वचन पूर्ण करते हैं और सबको हस्तिनापुर पहुँचाते हैं। इस प्रकार सर्वत्र हर्ष ही हर्ष छा जाता है।
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